एक समुद्र के पास तीतर और तीतरी का एक जोड़ा रहता था।
एक दिन तीतरी ने तीतर से कहा कि उसे अंडे देना है, इसलिए वह कोई सुरक्षित जगह की तलाश करे।
तीतर बोला, “प्रिये, यह समुद्र तट बहुत सुंदर है।
तुम यहीं पर अंडे दो तो बेहतर होगा।
” तीतरी बोली, “जब पूर्णिमा की रात होती है, तो समुद्र का पानी बड़े-बड़े हाथियों तक को तो बहा ले जाता है।
हमें कहीं और चलना चाहिए।"
तीतर ने हँसते हुए जवाब दिया, “तुम सच कह रही हो, लेकिन इस समुद्र के पास इतनी ताकत नहीं है कि वो हमें कोई नुकसान पहुंचा सके।
तुम बिना चिंता के यहाँ अंडे दे सकती हो।
" तीतर और तीतरी की बातचीत सुनकर समुद्र ने सोचा, “ये पक्षी कितना घमंडी है, किसी कीड़े से बड़ा तो होगा नहीं!
मैं इसके अंडे डुबो दूंगा और फिर देखूगा कि वह क्या करता है।" अंडे देने के बाद तीतरी दाने की तलाश में चल दी।
उसकी अनुपस्थिति में समुद्र ने एक लहर को भेजा, जिसने सारे अंडे पानी में खींच लिए।
जब तीतरी अपने घोंसले में लौटी तो उसे अंडे नहीं मिले।
वह तीतर से बोली, “तुम वाकई मूर्ख हो।
मैंने कहा था कि लहरें अंडों को बहा ले जाएँगी।"
“चिंता मत करो, प्रिये। मैं उसे सबक सिखाने का कोई तरीका ढूँढ़ता हूँ।
मैं समुद्र का सारा पानी सोख लूँगा और उसे सुखा दूंगा”, तीतर बोला।
"लेकिन तुम समुद्र का इतना सारा पानी कैसे सीख पाओगे ?
अपने सारे मित्रों को बुलाओ और मिलकर कोशिश करो,” तीतरी ने सलाह दी।
तीतरी की बुद्धि से प्रभावित होकर तीतर मान गया।
उसने अपने सारे मित्रों-सारसों, मोरों, कोयलों और अन्य पक्षियों को बुलाया।
सब इकट्ठे हो गए तो तीतर ने उन्हें पूरी बात बताई कि किस तरह से समुद्र ने उसके अंडों को ख़त्म कर दिया।
तीतर ने उन्हें समझाया कि समुद्र को सुखाना बहुत ज़रूरी है।
सारे पक्षी बोले, "हम यह काम नहीं कर सकते।
हमें भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के पास चलना चाहिए और उसे पूरी बात बतानी चाहिए।
पूरी बात सुनकर उसे ज़रूर गुस्सा आएगा और वह ज़रूर बदला लेगा।"
सारे पक्षी गरुड़ के पास गए और उससे कहने लगे,
हे देव, हमें आपकी सहायता चाहिए। समुद्र ने तीतर-तीतरी के अंडे नष्ट कर दिए है।
गरुड़ उनकी दुख भरी कहानी सुनकर काफी द्रवित हुआ।
वह भगवान विष्णु के पास गया और उन्हें पूरी बात बताई।
"मेरे साथ आओ।
मैं समुद्र से उन अंडों को वापस निकाल दूंगा और तीतर-तीतरी फिर से प्रसन्न हो जाएँगे,” भगवान विष्णु बोले।
इसके बाद भगवान विष्णु ने अपनी बिजली निकाली और समुद्र की ओर निशाना साधकर उसे चेतावनी देने लगे,
“तीतर-तीतरी के अंडे वापस कर दो।
अन्यथा, मैं तुम्हें रेगिस्तान बना दूंगा।"
भयभीत समुद्र ने तीतरों के अंडे वापस कर दिए।
तीतर ने वे अंडे तीतरी को सौंप दिए अपने शत्रु की शक्ति को जाने बगैर उसे चुनौती देने वाला अंत में नुकसान उठाता है।