एक पहाड़ी की चोटी पर एक बाज रहता था।
घाटी में एक बरगद के पेड़ पर एक कौआ अपना घोंसला बनाकर रहता था।
कौआ मूर्ख और आलसी था तथा वह भोजन की तलाश में कोई मेहनत नहीं करना चाहता था।
वह सोचा करता था कि उसे उसी पेड़ के नीचे एक बिल में रहने वाले खरगोश खाने को मिल जाएँ।
बाज कभी-कभी ऊपर से झपट्टा मारकर खरगोशों का शिकार किया करता था।
खरगोशों का स्वादिष्ट माँस खाने के विचार से ही कौए के मुँह में पानी आने लगा।
एक दिन, उसने निश्चय किया कि वह भी बाज की तरह ही खरगोश का शिकार करेगा।
अगले दिन कौआ बहुत ऊँचाई तक उड़ा और जब उसकी निगाह एक खरगोश पर पड़ी, तो उसने वहाँ से नीचे आकर एकदम से झपट्टा मारकर उसे पकड़ने की कोशिश की।
खरगोश ने कौए को देख लिया और एक चट्टान के पीछे छिप गया।
कौआ एकदम से नीचे आया और चट्टान से टकरा गया।
उसकी वहीं पर मौत हो गई।
किसी ने सच ही कहा है, कि किसी की बिना सोचे-समझे नकल नहीं करनी चाहिए।
अपनी क्षमता और कौशल पर भी ध्यान देना चाहिए।