बुद्ध की लोकप्रियता से उनके चचेरे भाई देवदत्त को ईर्ष्या होने लगी थी।
उसने सोचा कि बुद्ध के मुख्य सहयोगी बिंबसार को मार दिया जाए तो बुद्ध की लोकप्रियता भी घट जाएगी।
उसने बिंबसार की हत्या की कोशिश की लेकिन असफल रहा।
तब, देवदत्त ने बुद्ध की ही हत्या करने का प्रयास किया।
एक बार, उसने गृद्धकूट पर्वत से बुद्ध के ऊपर पत्थर लुढ़का दिया, लेकिन, चमत्कारिक रूप से वह पत्थर दो अन्य पत्थरों के बीच अटक गया।
देवदत्त हतप्रभ रह गया।
देवदत्त ने एक और प्रयास किया। बुद्ध जब भिक्षा माँगने राजगृह गए हुए थे, तभी उसने एक पागल हाथी छोड़ दिया।
हाथी ने हर तरफ उत्पात मचा दिया। बुद्ध उस
हाथी के पास आए और स्नेह से उसका माथा सहलाने लगे।हाथी तुरंत ही शांत हो गया। देवदत्त का यह प्रयास भी असफल हो गया।
आखिरकार, लोगों को देवदत्त के षड्यंत्रों के बारे में पता चल गया और सबने मिलकर उसे नगर से निकाल दिया।