देहाती चूहा और और शहरी चूहा

देहाती चूहा पंचतंत्र की कहानी

एक बार की बात है।

एक शहरी चूहा अपने पुराने दोस्त से मिलने गाँव गया।

गाँव का चूहा खुरदरा-सा या और काफी निर्धन था।

शहर का चूहा उदार और साफ-सुथरा था। वह देहाती चूहे से बोला,

“तुम तो किसी दादुर की तरह इस बिल में रहते हो। मेरे साथ शहर चलो।

मैं तुम्हें बताऊंगा कि जिंदगी कितनी सुंदर और बढ़िया है।"

देहाती चूहे के मन में उत्सुकता जगी और वह अपने दोस्त के साथ चल पड़ा।

वे एक बड़े दावत कक्ष में घुसे।

वहाँ पहुँचने पर उन्हें अच्छे-अच्छे पकवानों की सुगंध आने लगी।

तभी अचानक, कुछ शिकारी कुत्ते उनके पीछे दौड़ पड़े।

भागते-भागते जब गाँव दिखने लगा, तो देहाती चूहा बोला, “अलविदा, मेरे दोस्त।

मैं यहाँ रूखा-सूखा खाकर ही खुश हूँ।

मैं शांतिपूर्वक रहता हूँ, जबकि तुम हमेशा तनाव और मुश्किल में भागते-फिरते हो।"