एक बंदर और एक मगरमच्छ आपस में दोस्त थे।
मगरमच्छ की माँ को बंदर का हृदय बहुत स्वादिष्ट लगता था।
उसने मगरमच्छ से कहा कि वह उसके लिए बंदर का हृदय लाए।
मगरमच्छ ने बंदर से कहा, “उस टापू के फल पक गए हैं।
मैं तुम्हें वहाँ ले चलता हूँ।
बंदर के मुँह में पानी आने लगा।
वह उछलकर मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया।
दोनों टापू की ओर चल पड़े।
रास्ते में मगरमच्छ ने बताया, "मेरी माँ तुम्हारा हृदय खाना चाहती है और मैं तुम्हें उसके पास ही लिए जा रहा हूँ।” बंदर चुपचाप सोचने लगा।
कुछ देर बाद वह बोला, "अरे, लेकिन मैं तो अपना हृदय पेड़ पर ही छोड़ आया हूँ।
तुम्हें मेरा हृदय चाहिए तो मुझे वापस वहीं ले चलो।" चतुर बंदर ने बात बनाई।
मूर्ख मगरमच्छ बंदर को वापस नदी के तट पर ले आया।
जैसे ही वे तट के पास पहुँचे, बंदर उछलकर पेड़ पर चढ़ गया और उसकी जान बच गई।