एक बार बैलों ने कसाई के चंगुल से मुक्त होने का निश्चित किया।
"देखो तो इन दुष्ट कसाइयों को," वे आपस में कहते। “
इन लोगों ने तो जन्म ही हमारी हत्या करने के लिए लिया है!
हमें खुद ही इनके विरुद्ध लड़ाई लड़नी होगी।
इस तरह की चर्चा के बाद बैल अपने सींग पैने करने लगे।
तभी एक बूढ़ा बैल वहाँ पर आ गया। इसकी राय कुछ अलग थी।
"देखो साथियो", वह बोला, "यह जरूर देख लेना कि जो तुम लोग करने जा रहे हो, वह सही है न!
इसमें कोई संदेह नहीं कि ये कसाई हमें मार डालते हैं,
लेकिन इस लड़ाई में अगर हम कहीं किसी और बुरी हालत में न फंस जाएँ ?
फिर तो हमें दुगुनी मौत मिलेगी। सारे मनुष्य कसाइयों के बिना तो रह लेंगे,
लेकिन क्या वे हमारा माँस खाना बंद कर देंगे ?
नहीं। तो कुछ भी करने से पहले एक बार फिर सोच लो।
एक बुराई से बचने के लिए दूसरी बुराई को न्यौता देने में कोई समझदारी नहीं है।