सियार और ढोल

एक सियार भोजन की तलाश में एक खाली पड़े खेत में घूम रहा था। तभी उसे कुछ विचित्र सी आवाज सुनाई पड़ी। भयभीत सियार भागने की तैयारी करने लगा।

वह भागने ही वाला था कि उसने अपने आपसे कहा, ये पता तो करना चाहिए कि ये कैसी आवाज है और कौन इसे निकल रहा है। मैं जाकर देखता हूँ कि ये आवाज कहाँ से आ रही है।

सियार सावधानी से चुपचाप उसी दिशा में आगे बढ़ा, जहाँ से वह विचित्र आवाज आ रही थी।

वहां जाकर सियार को एक ढोल दिखाई दिया। तो यह ढोल था, जिस पर हवा चलने से पेड़ों की डालियाँ टकराती है तो आवाज निकलती है, सियार समझ गया।

सियार ने चैन की साँस ली। वह ढोल बजाने लगा। उसे लगा कि ढोल के अंदर भोजन भी हो सकता है। वह ढोल में छेदकर उसके अंदर घुस गया। अंदर भोजन न पाकर वह काफी निराश हुआ।

हालाँकि उसने अपने आपको यह कहकर सांत्वना भी दी कि कम से कम अब उसे विचित्र आवाज का डर तो नहीं रहा।