एक सँपेरा था।
उसके पास कुछ साँप थे और एक बंदर था।
वह अपने इन पालतू जानवरों के साथ बुरा बरताव करता था।
एक रात उसने बंदर की पिटाई की। बंदर वहाँ से भाग गया।
सँपेरे ने महसूस किया कि लोग बंदर के न होने पर उसका खेल पसंद नहीं कर रहे हैं।
वह बंदर को ढूँढ़ने गया। उसने एक पेड़ पर बंदर को बैठे देखा।
"अरे प्यारे बंदर, मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है! चलो, घर-चलो!” वह चिल्लाया।
झूठे, तुम इसलिए मुझे ढूँढ़ने नहीं आए हो कि तुम मुझे प्यार करते हो।
तुम इसलिए आए हो क्योंकि मेरे बिना तुम्हारा खेल कोई नहीं देखता और तुम्हें कमाई नहीं हो पा रही है!
बंदर गुस्से से बोला।
सँपेरे को खाली हाथ लौटना पड़ा, लेकिन उसे एक अच्छा सबक मिल गया कि सभी जानवरों को प्यार और सम्मान देना चाहिए।