एक बार एक राजा ने अपने राजवैद्य को अपने बीमार हाथियों के उपचार के लिए बुलाया।
राजमहल जाते समय राजवैद्य एक पेड़ की छाया में लेट गया।
अचानक, एक कौए की बीट उसके माथे पर गिरी!
वह बहुत क्रोधित हुआ और उसने सारे कौओं को मरवा देने का निश्चय किया।
उसने राजा के पास जाकर सुझाव दिया, “हाथियों के घावों पर कौओं की चर्बी मलने से वे ठीक हो जाएंगे।"
राजा ने आदेश दिया कि दवा बनाने के लिए सारे कौओं को मार डाला जाए।
कौओं को मारने का काम शुरू कर दिया गया।
कौओं का सरदार राजा के पास गया और विनती करने लगा, "हम लोगों को मत मारिए। सच तो यह है कि कौओं के शरीर में चर्बी होती ही नहीं है।"
राजा को अपनी गलती महसूस हुई और उसने दुष्ट राजवैद्य को दंड देने का आदेश दिया।