बंदरों को मारने वाला शिकारी

बंदर और शिकारी की कहानी

एक बार, बोधिसत्व ने नंदिया नाम के बंदर के रूप में जन्म लिया।

बंदर की माँ बूढ़ी और अंधी थी।

नंदिया जिम्मेदार बेटा था और सारे काम करता था।

वे एक गाँव के पास के जंगल में बरगद के पेड़ पर रहते थे।

एक दिन, जंगल में शिकारी आया। वह नंदिया की माँ को मारना चाहता था।

नंदिया ने उसे रोकने का प्रयास किया।

"मेरी असहाय माँ को मत मारो। उसकी जान मत लो, बदले में मेरी जान ले लो,” वह गिड़गिड़ाने लगा।

"अरे मूर्ख! तुम तो जवान हो।

तुम क्यों बीच में पड़ रहे हो ? अब तुम भी मरोगे और तुम्हारी माँ भी।”

यह कहते हुए शिकारी ने दोनों को मार डाला।

अपने घर लौटते समय शिकारी को खबर मिली कि उसके मकान पर गाज गिरी है और उसके परिवार के सभी सदस्य मारे गए हैं।

ईश्वर ने उसे उसके पापों का दंड दे दिया था।