एक एक बगुला था, जो एक दुष्ट कौए की संगत में पड़ गया था।
एक दिन, राहगीर एक पेड़ की ठंडी छाया में आराम कर रहा था।
उसका कुछ देर में सूरज के पश्चिम दिशा में आगे बढ़ने के साथ ही उस आदमी के चेहरे पर धूप पड़ने लगी।
बगुले को उस व्यक्ति पर दया आई और उसने उसे धूप से बचाने के लिए अपने पंख फैला दिए।
जबकि, दोस्त कौआ उस सोते हुए व्यक्ति को परेशान करने का प्रयास कर रहा था।
जब उस व्यक्ति ने जम्हाई लेने के लिए मुँह खोला, तो कौए ने उसके मुँह में ही बीट कर दी और उड़ गया।
उस व्यक्ति की नींद खुल गई और वह इधरउधर देखने लगा।
उसकी निगाह बगुले पर पड़ी।
उसे लगा कि बगुले ने ही उसके मुँह में बीट की है।
उसे बहुत क्रोध आया और उसने एक पत्थर उठाकर बगुले को दे मारा।
बगुला वहीं मर गया।
बुरी संगत का परिणाम बुरा ही होता है।