एक बार की बात है।
एक बूढ़ी महिला के पास एक मुर्गी थी।
वह मुर्गी हर दिन एक अंडा देती थी।
उस अंडे को बेचकर महिला को अच्छे दाम मिल जाते थे।
एक दिन, उस महिला ने सोचा, “अरे!
यह मुर्गी मुझे हर दिन एक अंडा देती है।
अगर मैं उसे दुगुना खाना खिलाने लगूं तो वह हर दिन दो अंडे दिया करेगी।
और इस प्रकार मैं ज़्यादा अंडे बेच सकूँगी और ज़्यादा पैसा कमा सकूँगी।
मै जल्द ही धनी बन जाऊँगी!" इसके बाद वह मुर्गी को अधिक से अधिक दाना खिलाने लगी।
मुर्गी जल्द ही मोटी हो गई और उसने अंडे देने बंद कर दिए।
अब महिला पछताने लगी।
अब उसे एक भी अंडा नहीं मिल पा रहा था।
उसे अपने किए पर बहुत दुख हुआ।
जोड़-तोड़ का हमेशा अच्छा परिणाम नहीं होता।