एक बार एक लोमड़ी की निगाह एक हिरन पर पड़ी।
धूर्त लोमड़ी ने अपनी सहायता के लिए एक चूहे को बुलाया।
उसके बाद एक बाघ को भी बुलाया।
सबने मिलकर हिरन को मारने की योजना बनाई।
चूहे ने हिरन के पैर कुतर दिए और बाघ उस पर झपट पड़ा तथा उसे मार डाला।
लोमड़ी बोली, "हमें बिना नहाए कुछ नहीं खाना चाहिए।
मैं तो नहा चुकी हूँ।
अब नहाने की बारी तुम लोगों की है।
" जब बाघ नहाकर आया तो लोमड़ी बोली, “चूहा बहुत शेखी बघार रहा था।
कह रहा था कि केवल उसके कारण ही हमें यह खाना मिल पा रहा है।
बाघ को बहुत बुरा लगा और वह चला गया।
जब चूहा आया तो उससे लोमड़ी बोली, "मैंने बाघ को लड़ने की चुनौती दी थी।
वह डरकर भाग गया। अब तेरी बारी है।
चूहा ने यह सुना तो तुरंत भाग निकला।
लोमड़ी ने अकेले ही हिरन का सारा माँस खाया।