लोमड़ी और अंगूर

एक भूखी लोमड़ी जंगल में इधर-उधर घूम रही थी।

अचानक उसकी नजर पके और रसीले अंगूरों की बेल पर पड़ी।

उसने मन में सोचा, “ये अंगूर तो बहुत स्वादिष्ट होने चाहिए।

मैं इन्हें ज़रूर खाऊँगी।"

अंगूर काफी ऊँचाई पर लगे थे।

लोमड़ी ने छलाँग लगाकर अंगूर तोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह उन तक नहीं पहुँच पाई।

वह छलॉग लगा-लगाकर अंगूर तोड़ने की कोशिश करती रही, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।

जब वह प्रयास कर-करके थक गई तो उसे समझ में आ गया कि अब और प्रयास करना बेकार है।

वह अपने आपसे बोली, "अरे! मुझे नहीं चाहिए ये अंगूर।

ये तो खट्टे हैं।

लोमड़ी का व्यवहार यह दिखाता है कि जब किसी को कोई चीज नहीं मिलती, तो वह उसमें कमियाँ निकालने लगता है।