बालक और बिच्छू

Balak Aur Bichchho | बालक और बिच्छू की कहानी

एक बार की बात है।

एक बालक दीवार पर टिड्डियाँ पकड़ रहा था।

उसने कई सारी टिड्डियाँ पकड़ीं, लेकिन वह और अधिक पकड़ना चाहता था।

दीवार पर टिड्डियों के बीच एक बिच्छू भी था।

बालक उसे भी टिड्डी समझकर पकड़ने के लिए बढ़ा लेकिन अचानक बिच्छू ने अपना डंक उठाया और बालक को काटने के लिए तैयार होकर बोला,

“इन बेचारी टिड्डियों की तरह मुझे भी पकड़ने की कोशिश कभी मत करना।

अगर ऐसी कोशिश की तो तुम अपने हाथ की इन टिड्डियों से ही नहीं, अपने जीवन से भी हाथ धो बैठोगे।"

यह कहानी बताती है कि जो व्यवहार तुम भले लोगों के साथ करते हो, वही व्यवहार बुरे लोगों के साथ नहीं करना चाहिए।

इसके बजाय, हर किसी से उसके स्वभाव और चरित्र के हिसाब से व्यवहार करना चाहिए।