मूर्ख मित्र

Murkh Mitr Ki Kahani | मूर्ख मित्र की कहानी

एक बार एक राजा ने एक बंदर को अपना अंगरक्षक बना लिया।

एक दिन, जब राजा आराम कर रहा था, तब बंदर उसके बिस्तर के पास खड़ा ध्यान से उनकी रखवाली कर रहा था।

कुछ देर में एक मक्खी कमरे में घुसी और सोते हुए राजा पर मँडराने लगी।

बंदर ने अपने हाथ से मक्खी को भगाना चाहा, लेकिन मक्खी बार-बार लौट आती।

बंदर फिर भगाता और मक्खी थोड़ी देर में फिर लौट आती।

इस बार बंदर ने मक्खी को सबक सिखाने का निश्चय किया।

उसने राजा की तलवार निकाली और जब भनभनाती हुई मक्खी राजा की गर्दन पर मँडराई, तो उसने मक्खी पर तलवार मार दी।

मक्खी तो बच गई लेकिन बेचारे सोते हुए राजा की गर्दन कट गई।

कई बार मूर्ख मित्र, बुद्धिमान शत्रु से भी अधिक हानिकारक होता है।