चींटी और टिड्डा

Chinti Aur Tidda Ki Kahani | चींटी और टिड्डा की कहानी

एक दिन, गर्मियों में एक टिड्डा गाना गा रहा था और इधर-उधर उछल-कूद करते हुए मौज-मस्ती कर रहा था।

उसे एक चींटी दिखी जो सर्दियों के लिए भोजन एकत्र करने में जुटी थी।

टिड्डा बोला, “आओ, हम लोग इस चमकीली धूप में गाना गाएँ और नाचें।”

“अरे नहीं,” चींटी ने जवाब दिया।

सर्दियाँ आने वाली हैं।

मैं सर्दियों के लिए भोजन इकट्ठा कर रही हूँ।

मुझे लगता है कि तुम्हें भी वही करना चाहिए।" टिड्डे ने कहा, “सर्दियाँ तो बहुत दूर हैं।

अभी तो बहुत भोजन पड़ा है।"

इतना कहकर टिड्डा फिर से नाचने लगा और चींटी अपने काम में लगी रही।

सर्दियाँ आई तो टिड्डे के पास खाने को कुछ नहीं रहा और वह भूखों मरने लगा।

वह चींटी के घर जाकर बोला, “क्या मुझे थोड़ा-सा खाना दोगी ?"

“गर्मियों में तो तुम नाचते रहे,” चींटी गुस्से से बोली।

“तुम तो जाकर बस नाचते रहो।"

इतना कहकर चींटी ने टिड्डे को भगा दिया।