दो सिर वाला जुलाहा

एक दिन, जब एक जुलाहा कपड़ा वुन रहा था, तभी उसका लकड़ी का बना करघा टूट गया।

उसने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और किसी लकड़ी की तलाश में निकल पड़ा ताकि उसकी सहायता से वह अपना करघा ठीक कर सके।

उसे एक बड़ा पेड़ दिखा तो वह सोचने लगा, “अगर मैं इस पेड़ को काट लूँ, तो मुझे बहुत सारी लकड़ी मिल जाएगी और उससे मैं बुनाई के सारे औजार बना लूँगा।”

उसने कुल्हाड़ी उठाई और पेड़ को काटना शुरू किया।

तभी उस पेड़ पर रहने वाला प्रेत बोल पड़ा, “यह पेड़ मेरा घर है।

मैं तुमसे इसे छोड़ देने की विनती करता हूँ।” जुलाहे ने जवाब दिया, “मेरे पास इस पेड़ को काटने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।”

प्रेत ने अनुरोध किया, “मैं जादुई प्रेत हूँ।

मैं तुम्हारी हर इच्छा पूरी कर सकता हूँ, वस, इस पेड़ को मत काटो।

तुम जो भी वरदान माँगोगे, वह मैं तुम्हें दूंगा!” जुलाहा यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ।

पेड़ पर रहने वाला प्रेत उसकी हर तरह की इच्छा पूरी करने का वचन दे रहा था।

हालाँकि, उसने अत्यधिक होशियारी दिखाते हुए, प्रेत से कहा, “मुझे इस बारे में अपनी पत्नी से बात करनी पड़ेगी।

तुम प्रतीक्षा करो।

मैं अभी आता हूँ।” इतना कहकर वह जल्दी से अपनी पत्नी के पास राय लेने के लिए भागा।

रास्ते में उसे एक मित्र मिला। मित्र से भी उसने सलाह ली।

मित्र ने कहा, “इस अवसर को मत गँवाओ।

तुम उससे राज्य माँग लो।

तुम राजा बनकर रहना और राजसी सुख-सुविधाओं का आनंद उठाना।

” जुलाहे को यह सुझाव पसंद तो आया लेकिन उसने प्रेत से यह वरदान माँगने से पहले एक बार पत्नी से सलाह लेने का निश्चय किया।

वह बोला, “मुझे अपनी पत्नी से भी सलाह लेना चाहिए।” वह जल्दी से अपनी पत्नी के पास गया और उसे पूरी बात बताई।

जुलाहे की पत्नी ने शीघ्रता से जवाब दिया, “तुम्हारे मित्र ने बिलकुल मूर्खतापूर्ण सलाह दी है।

उसकी सलाह पर ध्यान मत दो।” वह आगे बोली, “तुम तो वरदान में एक और सिर, और एक जोड़ी हाथ और माँग लो।

तब तुम एक साथ दो कपड़े बुन सकोगे।

अपने हाथों के कौशल की बदौलत जल्द ही तुम्हारा बहुत नाम हो जाएगा और तुम धनी हो जाओगे।!"

मूर्ख जुलाहा प्रसन्न हो गया और बोला, “मैं ऐसा ही करूँगा।

तुम मेरी पत्नी हो और मुझे विश्वास है कि सबसे अच्छी सलाह तुम्हीं दे सकती हो।

” जुलाहा लौटकर प्रेत के पास गया और उससे बोला, “मुझे एक जोड़ी हाथ और दे दो।

साथ ही एक सिर और दे दो।” जैसे ही उसके मुँह से यह बात निकली, वैसे ही उसके एक और सिर उग आया, साथ ही दो अतिरिक्त हाथ भी निकल आए।

जुलाहा प्रसन्न होकर अपने घर की ओर चल दिया।

रास्ते में उसे गाँव वाले मिले।

गाँव वालों ने दो सिर और चार हाथ वाला मनुष्य देखा तो वे डर गए।

वे समझे कि यह कोई राक्षस आ गया है।

सारे लोगों ने मिलकर उसे घेर लिया और उसे पीट-पीटकर मार डाला।

मूर्खतापूर्ण सलाह मानने के कारण बेचारे जुलाहे को अपनी जान गवानी पड़ गई।