एक मुर्गे को बहुत भूख लगी थी।
वह भोजन की तलाश में गया।
वह अपने खाने के लिए अनाज के दानों की तलाश में जमीन कुरेदने लगा।
ज़मीन में गड़ा उसे एक गहना मिल गया।
गहना काफी महँगा और बड़ा था।
मुर्गा उसे देखकर आश्चर्य में पड़ गया।
उसने गहना उठा लिया और अपने आप से बोला, “यह कितना सुंदर है!
यह बहुत ही मूल्यवान होगा।
सारी दुनिया इसे पाना चाहेगी।” कुछ देर बाद वह सोचने लगा, “मैं भूखा हूँ और मुझे खाना चाहिए।
इस गहने का मैं क्या करूँगा ? अभी तो अनाज का दाना मेरे लिए गहने से अधिक मूल्यवान होगा।
यह गहना तो अभी मेरे लिए बेकार है।
उसने वह गहना वहीं छोड़ दिया और दूसरी जगह जाकर ज़मीन खोदने लगा।
वास्तव में कोई चीज़ तुम्हारे लिए तभी मूल्यवान हो सकती है, जब वह तुम्हारे लिए उपयोगी हो।