गधा और टिड्डा

Gadha Aur Tidda

एक गधे को टिड्डे की गुन-गुन करती मधुर ध्वनि बहुत अच्छी लगती थी।

गधे का मन टिड्डों से दोस्ती करने का होने लगा।

एक दिन, उसने कुछ टिड्डों का गुंजन करता स्वर सुना।

मोहक गुंजन से आकर्षित होकर गधे ने टिड्डों को बुलाया और उनकी प्रशंसा करने लगा,

“मेरे मित्र, तुम्हारी आवाज़ बहुत सुरीली है।

मुझे तुम्हारी आवाज़ बहुत पसंद है।

मैं भी चाहता हूँ कि मेरी भी आवाज़ तुम लोगों की तरह सुरीली हो जाए।

गधे ने आगे पूछ ही लिया, “तुम लोग ऐसा क्या खाते हो कि तुम्हारी आवाज़ इतनी सुरीली है ?”

टिड्डों ने जवाब दिया, “हम लोग ओस की बूंदें खाते हैं।”

अपनी आवाज़ सुरीली बनाने के लिए गधे ने भी ओस की बूंदें चाटना शुरू कर दिया।

कुछ ही दिनों में भूख के मारे उसकी मौत हो गई।

सही कहा गया है कि किसी एक व्यक्ति की दवाई, दूसरे व्यक्ति के लिए विष का काम कर सकती है।