एक सांप ने एक झील में रहने वाले सारे मेढकों को खा जाने की योजना बनाई।
सांप ने मेंढकों से कहा, एक ब्राह्मण के शाप के कारण मैं तुम लोगों की सेवा करने यहाँ आया हूँ।
मेंढकराज बहुत उत्साहित हुआ और सारे मेंखकों को यह बात बताई। सारे मेंढक उछलकर सांप की पीठ पर चढ़कर सवारी करने निकल पड़े।
अगले दिन सांप बोला, मेरे पास खाने के लिए कुछ नहीं है। मैं तेजी से रेंग नहीं पा रहा हूँ।
मेंढकराज बोला, तुम अपनी पूछ पर सबसे पीछे बैठे सबसे छोटे मेंढक को खा सकते हो।
सांप ने वैसा ही किया।
कुछ दिनों में सांप एक -एक करके सारे मेंढकों को खा गया। केवल मेंढकराज ही बचा।
अगले दिन, मेंढकराज फिर बोला तुम अपनी पूंछ पर सबसे पीछे बैठे एक मेंढक को खा सकते हो, सांप तुरंत उसे खा गया।