एक नन्हाँ छडूंदर अपनी माँ के साथ रहता था।
उसकी माँ उसकी अच्छी तरह से देखभाल करती थी।
छादर बहुत छोटा था, इसलिए वह उसकी हर बात पर विश्वास नहीं करती थी।
नन्हें छडूंदर ने अपनी माँ से कहा, "माँ, मैं देख सकता हूं।
माँ ने उसकी यह बात सुनी तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ।
उसने अपने बच्चे की बात की सचाई जानने के लिए उसकी परीक्षा लेने का निश्चय किया।
माँ ने उसके सामने लोबान का टेला रख दिया और उससे पूछा कि वह क्या है।
नव्हाँ छडूंदर तुरंत बोला, "माँ, ये तो पत्थर है। माँ को सचाई पता लग गई।
वह बोली, "अरे बेटे, तुम्हें न तो दिखाई देता है और न ही तुम सूंघ पाते हो।
अपनी एक झूठी योग्यता की शान बताने के प्रयास में तुमने अपनी एक और कमी उजागर कर दी।
एक कमी को छिपाने के प्रयास में किसी दूसरी कमी को उजागर नहीं कर देना चाहिए।