शेर और बैल

एक बार एक शेर ने बैल को मारकर खा जाने का निश्चय किया।

इसके लिए उसने एक चाल चली।

'वह बैल के पास गया और बोला, "दोस्त, मैंने भेड़ का बहुत अच्छा गोश्त पकाया है; मेरी गुफा चलो, वहाँ दोनों मिलकर भोजन करेंगे।"

शेर की योजना थी कि जब बैल भोजन करने के लिए बैठेगा, तो वह उस पर झपट पड़ेगा और उसे मार डालेगा।

बैल सहमत हो गया और वह शेर के साथ उसकी गुफा में चला गया।

गुफा में उसने देखा कि बड़ी-सी आग जल रही है और उस पर एक बर्तन में खौलता हुआ पानी चढ़ा है।

वह समझ गया कि शेर उसको ही मारकर पकाने की तैयारी में है!

बैल बिना कुछ कहे वहाँ से भाग गया।

शेर उसके पीछे आया और उसके जाने का कारण पूछने लगा।

"मेरे दोस्त," बैल ने जवाब दिया, "मैं आलसी अवश्य हूँ लेकिन मूर्ख नहीं हूँ।

मुझे वहाँ भेड़ का मांस तो कहीं नहीं दिखा।

हाँ, मुझे ही पकाने की तैयारी वहाँ ज़रूर थी!

तुम्हारी चाल मेरे ऊपर चल नहीं पाई।" और शेर को भूखा छोड़कर वह बैल चला गया।