बहुत समय पहले, एक मेंढक था, जो अधिकतर समय कीचड़ से भरे दलदल में घुसा रहता था।
उसे यह भ्रम हो गया कि वह हर किसी का इलाज कर सकता है।
एक दिन वह दलदल से निकला और दावा करने लगा कि उसने धरती की सारी बीमारियाँ ठीक कर दी हैं।
"अरे साथियो, मेरे पास आओ।
मुझे चमत्कारी शक्तियाँ मिल गई हैं।
मैं तुम सबकी बीमारियाँ ठीक कर सकता हूँ,” वह पूरी ताकत से चिल्लाकर बोला।
पास से एक लोमड़ी निकल रही थी।
वह वहीं रुक गई और बोली, “तुम तो नीमहकीम हो।
अगर तुम्हारे पास कोई चमत्कारी शक्ति है तो पहले अपनी ये लँगड़ी चाल और यह छेदों वाली खाल ही ठीक कर लो।
अपने आपको जबरदस्ती डॉक्टर कहते हो, पहले स्वयं का इलाज तो कर लो।
किसी के काम की जाँच व्यवहार से ही की जा सकती है।"