एक वफादार कुत्ता था।
वह रात भर कड़ी चौकसी करता था।
एक रात, एक चोर उस घर में घुसने के लिए आया।
उसकी निगाह चौकसी कर रहे कुत्ते पर पड़ी, जो हमशा की तरह जाग रहा था।
चोर ने कुत्ते को ललचाने के लिए माँस के टुकड़े उसके सामने डाले।
कुत्ते ने टुकड़े सूंघकर छोड़ दिए और भौंकते हुए बोला, “भाग जा यहाँ से, ठग कहीं का।
मुझे तुझ पर शक तो पहले से ही हो रहा था।
अब तेरे इतनी अधिक उदारता और दया दिखाने से मुझे पक्का विश्वास हो गया है कि तेरे मन में बेईमानी है।
तू मेरे मालिक के घर से सामान चुराना चाहता है।
मैं रिश्वत लेकर चुप बैठ जाने वालों में से नहीं हूँ। दुष्ट आदमी ही दूसरों को गलत काम करने के लिए लालच देता है।"
जो हाथ में रिश्वत लिए घूमता हो, उसके मन में शैतानी इरादे ही हो सकते हैं।