बंदर और मछुआरे

बंदर और मछुआरे की कहानी

एक बंदर पेड़ की ऊँची डाल पर बैठा था।

उसने देखा कि कुछ मछुआरे नदी में जाल बिछा रहे हैं।

अपना कुछ काम निपटाने के बाद वे आराम करने बैठ गए और खाना खाने लगे।

बंदर कुछ ऐसा करना चाहता था, जो उसने अपने जीवन में पहले कभी न किया हो।

वह पेड़ से नीचे आया और खुद ही जाल बिछाने का प्रयास करने लगा।

इस प्रयास में वह खुद ही उस जाल में फंस गया।

जब वह बुरी तरह उलझ गया तो चिल्लाने लगा, “हाय मर गया!

मुझे ये कैसी सज़ा मिली! मुझे इस फालतू के काम में हाथ डालना ही नहीं चाहिए था।

मैं जाल बिछाने में जुट गया था, जबकि मुझे मछली पकड़ने के बारे में कुछ भी नहीं आता।

मुझे इसी का दंड मिला है।" जिस काम के बारे में जानते न हो, उसे करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।