समुद्री यात्री

एक बार की बात है।

कुछ यात्री बंदरगाह पर जहाज़ के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे।

काफी समय तक प्रतीक्षा करने के बाद, वे एक ऊँची जगह गए और उन्हें समुद्र में एक लट्ठा तैरता दिखा।

उन्होंने समझा कि यही वह जहाज़ है।

वे लोग उस लढे के बंदरगाह तक आने की प्रतीक्षा करने लगे।

जब लठ्ठा पास में आया तो उन्होंने सोचा कि यह तो नाव है।

नाव में क्या है, यह पता चलने का इंतजार करने लगे।

जब वह लट्ठा तट तक आया, तब उन्हें असलियत पता चली और उन्होंने पाया कि वह तो न जहाज़ है और न ही नाव।

वह तो बस एक लट्ठा है।

कुछ घंटे बर्बाद करने पर उन्हें जीवन का यह सीधी-सी सचाई समझ में आई कि अनुमान और वास्तविकताओं में बड़ा अंतर होता है।