शनि, मंगल और शुक्र, तीनों देवों ने निश्चय किया कि वे एक-एक चीज़ ऐसी जो एकदम संपूर्ण हो।
शनि ने मनुष्य को बनाया।
मंगल ने बैल बनाया और एक मकान बनाया।
अब उन लोगों ने नारद मुनि को बुलाया और उनसे निर्णय करने को कहा कि इन तीनों में से कौन संपूर्ण है।
नारद ने बैल से शुरुआत की और उसमें कमी ये पाई कि उसके सींग आँखों से ऊपर हैं।
"इस कारण बैल अपने सींग तो देख ही नहीं पाएगा,” नारद ने कहा।
अब बारी मनुष्य की थी।
नारद मुनि ने पाया कि मनुष्य भी संपूर्ण नहीं है क्योंकि उसकी छाती में खिड़कियाँ नहीं हैं जिस कारण उसके अंदर के विचार बाहर नहीं आ सकते।
बनाएँगे, शुक्र ने अब बारी मकान की आई।मकान में नारद ने कमी पाई कि उसमें पहिए नहीं हैं, जिस कारण वह चल-फिर नहीं सकता।
यह सुनकर शनि ने कहा, “आपके जैसा गलतियाँ गिनाने वाला कभी संतुष्ट नहीं हो सकता।
दूसरों की गलतियाँ तब गिनाइए, जब आप स्वयं कोई ऐसी चीज़ बना लें जिसमें कोई कमी न हो।"