जंगली सुअर और लोमड़ी

एक जंगली सुअर एक पेड़ के तने से घिस-घिसकर अपने दाँत नुकीले कर रहा था।

एक लोमड़ी ने उसे देखा तो सोचने लगी कि जब इसके सामने लड़ने के लिए कोई है ही नहीं, तो यह मूर्ख जानवर क्यों लड़ाई की तैयारी कर रहा है।

वह सुअर के पास गई और पूछने लगी, “दोस्त, तुम अपने दाँत नुकीले क्यों कर रहे हो ?

आस-पास देखो ज़रा। क्या यहाँ कोई शिकारी या खतरनाक जानवर है?

अरे, यहाँ तो किसी तरह का खतरा है ही नहीं। मेरे हिसाब से तो तुम बेकार में मेहनत कर रहे हो।"

एक उसे हंस सुअर ने उसकी ओर देखा और आराम से जवाब दिया, “अरे मेरी दोस्त!

खतरा बताकर नहीं आता। वह तो अचानक ही आ जाता है।

जब ख़तरा आएगा तो मुझे दाँत नुकीले करने का समय नहीं मिलेगा।

तुम तो जानती ही हो कि जब लड़ाई का बिगुल बज जाए, तब तलवारों की धार नुकीली करने का समय नहीं मिलता।"