एक बारहसिंघा के पीछे कुछ शिकारी कुत्ते पड़ गए।
बारहसिंघा एक खेत में जाकर बैलों के बाँधने की जगह में छिप गया।
स्वयं को उसने घास-फूस से ढंक लिया और बैलों से बोला, "भाइयो, कुछ देर के लिए मुझे यहीं छिपे रहने दो।
मुझे कुछ शिकारी कुत्ते पकड़ने आ रहे हैं।"
शाम को चरवाहा वहाँ पर जानवरों को चारा खिलाने आया।
उसने बारहसिंघे पर ध्यान नहीं दिया और हर दिन की तरह अपना काम करके चला गया।
थोड़ी ही देर बाद वह कुछ मजदूरों के साथ आया लेकिन उनकी भी निगाह बारहसिंघा पर नहीं पड़ी।
शाम हो चुकी थी और बारहसिंघे ने राहत की साँस ली।
“अरे दोस्तो,” वह ज़ोर से बोलने लगा। “मुझे लगता है कि अब खतरा टल गया है!
मैं यहाँ बहुत देर से हूँ और मुझे कोई नहीं देख पाया।”
तभी अचानक मालिक वहाँ फिर से आ पहुँचा।
उसने अपने एक नौकर को आवाज़ लगाई, “यहाँ इतनी गंदगी क्यों फैली है ?
और ये चारा यहाँ क्यों पड़ा है ?” उसने डाँट लगाई।
नौकर तुरंत पूरी जगह को साफ करने में जुट गए।
जल्द ही उन्हें बारहसिंघा भी दिख गया और उन्होंने उसे पकड़ लिया।
मालिक की निगाह से कुछ भी नहीं बच सकता।