एक बार की बात है।
एक बाज अपनी माँ के साथ पेड़ पर रहता था।
बाज को मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली पूजा सामग्री चुराने की बुरी आदत थी।
एक दिन, बाज बीमार पड़ गया और उसकी जान निकलने ही वाली थी।
वह अपनी रोती हुई माँ से बोला, “माँ, ईश्वर से प्रार्थना करो कि वह मुझ पर दया करे और मेरा जीवन बख्श दे।"
माँ ने जवाब दिया, “अरे नादान बेटे!
हम कौन-से देवता से दया की भीख माँगें ?
ऐसा कौन- -सा देवता बचा है जिसका प्रसाद तुमने चोरी न किया हो ?
अपने इतने सारे गलत कार्यों के बाद भी तुम सोचते हो कि देवता तुम्हारा जीवन बख्श देंगे ?"
पूरे जीवनकाल में किए गए पापों का प्रायश्चित्त मृत्युशैया पर नहीं किया जा सकता।