एक कुत्ते और एक खरगोश के बीच बहुत पक्की दोस्ती थी।
खरगोश का स्वभाव सीधा-सादा था, जबकि कुत्ता बहुत चालाक था।
एक दिन कुत्ते ने अचानक खरगोश को पकड़कर ज़ोर से काट लिया।
खरगोश दर्द के मारे मरा जा रहा था।
अब कुत्ता खरगोश के घाव को चाट-चाटकर उसे आराम पहुँचाने की कोशिश करने लगा।
खरगोश कुत्ते के व्यवहार को देखकर दंग था और समझ नहीं पा रहा था कि वो क्या करे।
वह जानने की कोशिश कर रहा था कि कुत्ता क्या चाहता है।
“पहले मुझे यह बताओ, तुम मेरे दोस्त हो या दुश्मन ?
अगर तुम मेरे सच्चे दोस्त हो, तो तुमने मुझे इतने ज़ोर से काटा क्यों ?
अगर तुम दुश्मन हो तो अब मेरे घावों को चाट क्यों रहे हो ?
या तो मुझे मार डालो या मुझे अपनी मर्जी से जीवन जीने दो।"
संदिग्ध मित्र तो शत्रु से भी बुरा होता है।