लालची मक्खियाँ

एक दिन शहद से भरा बर्तन अलमारी से नीचे फर्श पर गिर गया और टुकड़े-टुकड़े हो गया।

सारा शहद नीचे फैल गया।

शहद फैलते ही ढेरों मक्खियाँ वहाँ आ गई।

मक्खियाँ वहीं बैठकर शहद चाटने लग गई।

एक-एक बूंद तक उन्होंने नहीं छोड़ी।

जब उनका पेट पूरी तरह से भर गया, तो उन्होंने उड़ने का प्रयास किया, लेकिन वे शहद में चिपक चुकी थीं।

उन्होंने बहुत ज़ोर लगाया लेकिन उनके पैर शहद में पूरी तरह से जम चुके थे।

अब उन्हें महसूस हुआ कि वे बड़े भारी खतरे में पड़ चुकी हैं।

जैसे ही किसी की निगाह उन पर पड़ेगी, वो उन्हें मार डालेगा।

एक मक्खी असहाय होकर बोली, “हाय! हमने कितनी बड़ी मूर्खता की है!

हमने थोड़े-से सुख के लिए अपने जीवन को ही दाँव पर लगा दिया।

अब अपने लालच और नासमझी के कारण हम सब मारे जाएंगे।"