एक बकरी एक बड़ी-सी चट्टान पर खड़ी थी और घास खा रही थी।
वह खाने में इतनी मग्न हो गई कि उसने अन्य बकरियों और चरवाहे की ओर देखा तक नहीं।
जब बकरियों का झुंड आगे बढ़ा, तो चरवाहे ने आवाज़ लगाई और बार-बार सीटी बजाने लगा।
बकरी खाने में तल्लीन बनी रही और उसने उस पर ध्यान नहीं दिया।
चरवाहे का धीरज जवाब दे गया।
उसने एक पत्थर उठाया और बकरी की ओर फेंका।
पत्थर सीधे बकरी को लगा और उसका एक सींग टूट गया।
चरवाहे ने यह देखा तो वह दौड़ा-दौड़ा आया और बकरी से कहने लगा कि वह यह बात किसी को न बताए।
बकरी मुस्कराई और बोली, “तुम कितने मूर्ख हो!
मैं भले ही किसी को कुछ न बताऊँ, पर मेरा टूटा सींग देखकर तो सभी समझ ही जाएँगे।"
जो सामने दिख रहा हो, उसे बताने के लिए शब्दों की आवश्यकता नहीं पड़ती।