एक निर्धन व्यापारी ने एक साहूकार के पास अपना तराजू गिरवी रख दिया।
कुछ सप्ताह बाद उसने साहूकार से अपना तराजू वापस माँगा।
साहूकार बोला, “अरे, वह तो चूहे चबा गए, मेरे दोस्त!"
व्यापारी ने साहूकार को सबक सिखाने का निश्चय किया और उससे बोला, “मैं नदी में नहाने जाना चाहता हूँ।
चाहो तो अपने बेटे को भी मेरे साथ भेज दो।"
साहूकार मान गया।
जब दोनों नदी के तट पर पहुंचे, तो व्यापारी ने साहूकार के बेटे को पास की झोपड़ी में बंद कर दिया और साहूकार के पास अकेले लौट आया। साहूकार ने अपने बेटे के बारे में पूछा तो व्यापारी ने जवाब दिया, “एक बड़ा बाज उसे दबोचकर ले गया!"
“बाज इतने बड़े बच्चे को कैसे उठा सकता है ?" साहूकार गुस्से में आकर चिल्लाया।
“अगर चूहे मेरा लोहे का तराजू चबा सकते हैं, तो बाज भी लड़के को उठाकर ले जा सकता है!”
व्यापारी ने जवाब दिया।
साहूकार ने तुरंत उसका तराजू लौटा दिया।
व्यापारी ने भी उसके लड़के को छोड़ दिया।