एक लड़का बहुत चतुर था।
उसने बहुत सी कलाएँ सीखीं।
उसे तीर चलाना आ गया, वह नाव खेने लगा और बढ़िया से बढ़िया मकान बनाना सीख गया।
उसके बाद वह घर लौटा।
बड़े घमंड से वह लोगों से कहता, "इस दुनिया में मेरे मुकाबले का कोई नहीं है, मैं सबकुछ जानता हूँ।"
गौतम बुद्ध ने यह देखा तो सोचा, इसे शिक्षा देनी चाहिए।
उन्होंने एक बूढ़े का रूप बनाया और हाथ में भिक्षापात्र लेकर उसके पास गए।
लड़के ने पूछा, "तुम कौन हो ?"बुद्ध ने कहा, "मैं अपने मन को वश में रखनेवाला एक आदमी हूँ।"
उनकी बात लड़के को समझ में नहीं आई।
उसने कहा, आपका मतलब ?” बुद्ध बोले, "कोई आदमी तीर चलाना जानता है, कोई नाव खेना जानता है, कोई घर बनाना जानता है, लेकिन ज्ञानी आदमी अपने ऊपर शासन करना जानता है।"
लड़का बुद्ध के इतने कहने पर भी कुछ न समझ सका, उनसे फिर पूछा, "अपने ऊपर शासन करना क्या होता है ?"
बुद्ध ने कहा, “अगर कोई उसकी प्रशंसा करे, तो वह खुशी से नहीं फूलता, निंदा करे तो दुःखी नहीं होता।
इस तरह उसका मन उसके वश में रहता है।
ऐसा आदमी किसी चीज या हुनर का अभिमान नहीं करता।"
बुद्ध की बात का उस लड़के पर ऐसा असर हुआ कि उस दिन से उसने डींग हाँकना बंद कर दिया। "