सियार और साधु

एक दुष्ट सियार हर रात को पड़ोस के गाँव जाता और लोगों के मकानों से स्वादिष्ट भोजन चोरी करके ले आता।

गाँव वाले चोर को पकड़ना चाहते थे लेकिन वह उनकी पकड़ में नहीं आ पा रहा था।

एक दिन, जब सियार गाँव में गया तो उसने पाया कि बहुत सारे गाँव वाले उसकी तलाश कर रहे हैं।

कुछ देर बाद उसने रास्ते में आते एक साधु को देखा। दयनीय आवाज में दुष्ट सियार उससे बोला, भले आदमी मैं घायल हो गया हूँ। मुझे अपने थैले में रखकर मेरे घर तक छोड़ आओ, तो बड़ी कृपा होगी।

साधु उसकी मदद करने को ख़ुशी-ख़ुशी तैयार हो गया। जब सियार अपनी गुफा के पास के पहुंचा तो वह चिल्लाया, यह थैले वाला आदमी ही चोर है। यह कहकर गुफा में घुस गया।

गाँव वाले ने साधु को चोर समझकर पकड़ लिया। इसलिए कहा गया है कि आँख मूंदकर हर किसी का विश्वास नहीं करना चाहिए।