एक दयालु राजा के पास एक हाथी था, जो काफी शर्मिला था। उसका नाम लज्जालु ही था।
एक रात, उसने कुछ लुटेरों को बात करते सूना। वे कह रहे थे, चोरों को तो पिटाई करना जरूरी होता ही है। उसे किसी पर दया नहीं करनी चाहिए।
उनकी इस तरह की अमानवीय बातचीत सुनकर लज्जालु सोचने लगा, ये लोग मुझे सिखाने आए है।
मुझे उनकी सलाह पर अमल करना चाहिए। अगले दिन, उसने एक महावत को अपनी सूँड से पकड़ा और हवा में उछाल दिया। लज्जालु का स्वभाव बदल चूका था।
एक दिन, चिंचित राजा ने एक पुजारी को कहते सुना, सत्संग से दुष्ट का व्यवहार भी बदल सकता है।
राजा ने साधुओं और पुजारियों से लज्जालु को समझने का अनुरोध किया। ये सारे सज्जन लोग लज्जालु के पास जाकर बोले, हमें किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
लज्जालु ने यह सुना तो वह समझ गया कि उसे इन सज्जनों की सलाह माननी चाहिए। उसी दिन से उसका व्यवहार फिर से बदलकर अच्छा हो गया।