जानवरों की भाषा जानने वाला

Janwaron Ki Bhasha Janane Wala : Jataka Story In Hindi

एक बार कुछ बच्चे एक नाग को मार रहे थे।

एक राजा ने उसकी रक्षा की।

राजा पर प्रसन्न हो नाग ने उस राजा को जानवरों की भाषा समझने और बोलने का वर प्रदान किया था ।

किन्तु उसे यह चेतावनी भी दी थी कि यदि वह उस बात की चर्चा यदि कभी भी किसी से करेगा तो उसके प्राण चले जाएंगे।

एक दिन राजकीय काम-काज के बाद राजा जब अपनी प्रिय रानी के साथ एक बाग में बैठा कुछ खा पी रहा था।

तभी मिष्टान्न का एक छोटा-सा टुकड़ा नीचे गिर गया।

थोड़ी देर में वहाँ एक चींटी पहुँची और उस टुकड़े को देख खुशी से चिल्ला उठी, ” अरे वाह ?

इतना बड़ा मिष्टान्न जो एक पूरी बैल-गाड़ी में भी नहीं समा सकता !” फिर वह उस टुकड़े को उठा ले जाने की चेष्टा करने लगी।

चींटी की बात सुन राजा को हँसी आ गई और वह मुस्करा उठा।

राजा की रहस्यमयी मुस्कान को देख रानी ने समझा कि उसके श्रृंगार में शायद कोई त्रुटि रह गयी थी।

अत: उसने राजा से उसकी मुस्कान का कारण जानना चाहा।

किन्तु राजा ने उसकी बात टाल दी।

उस रात राजा जब अपने शयन-कक्ष में पहुँचा तो रानी ने उसकी रहस्यमयी मुस्कान का कारण जानने के लिए तरह-तरह का नाटक किया। अँतत: राजा को हार माननी पड़ी और उसने रानी से कहा कि यदि वह कारण बताएगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी।

इस बात को भी सुनकर रानी अपनी ज़िद पर अड़ी रही।

तब राजा ने उससे कहा कि दूसरे दिन उसे उसी उद्यान में सारी बात बता देगा।

दूसरे दिन जब राजा अपने अनुचरों के साथ उसी उद्यान में जा रहा था तो उसे मार्ग में एक गधा और एक बकरी बात-चीत करते दिखे।

पास पहुँचने पर राजा ने सुना कि वह बकरी गधे से कह रही थी, “गधे ! तुम तो मूर्ख हो ! किन्तु आज मैंने जाना कि यह राजा तुमसे भी बड़ा मूर्ख है।”

राजा को बकरी की बात से बड़ा आश्चर्य हुआ।

वह बकरी से पूछ बैठा कि आखिर वह उसे बड़ा मूर्ख’ क्यों समझती है ?

बकरी ने राजा से कहा, “हे राजन ! आज तुम प्रसन्नता-पूर्वक अपनी रानी को खुश करने के लिए अपने जीवन का बलिदान कर रहे हो।

किन्तु जब वह रानी तुम्हारी मृत्यु के बाद तुम्हारी समस्त सम्पत्ति की अधिकारिणी हो किसी दूसरे व्यक्ति के साथ जीवन का आनन्द उठाएगी तो क्या तब भी तुम प्रसन्न रहोगे।”

बकरी की बात सुनकर राजा का विवेक जाग उठा वह अपने जीवन का मूल्य समझने लगा।

जब राजा बाग पहुँचा तो उसने रानी से कहा, “रानी मैं तुम्हें अपनी मुस्कान का कारण बताने को तैयार हूँ, किन्तु एक शर्त है।

तुम्हें एक सौ कोड़े खाने पड़ेंगे, क्योंकि भेद बताने पर मेरे तो प्राण तत्काल निकलेंगे।”

रानी ने समझा राजा तो उसे बहुत प्यार करता था उस पर झूठ-मूठ में कोड़े बरसाए जाएंगे।

अत: वह कोड़े खाने को तैयार हो गयी।

तब राजा ने अपने एक सिपाही से (पूरी शक्ति के साथ) रानी पर कोड़े बरसाने को कहा।

सिपाही ने तब रानी पर पूरी शक्ति से कोड़े बरसाये।

जैसे ही कोड़े वाले ने रानी को एक कोड़ा मारा वह चीख उठी 'आह ! बहुत दर्द होता है।

मुझे कोड़े से नहीं मारो ! मुझे राजा के मुस्कान का रहस्य भी नहीं जानना है।'

तब राजा ने कोड़े वाले से कहा कि वह और जोर से रानी पर कोड़े बरसाये क्योंकि

उसे अपने पति की मौत स्वीकार थी किन्तु एक कोड़े की चोट भी नहीं।

कोड़े वाले ने जब फिर से रानी पर कोड़ा बरसाने को हुआ तभी राजा के मंत्री ने राजा से आग्रह किया कि वह रानी को क्षमा कर दे।

राजा ने रानी को क्षमा तो कर दिया किन्तु वह मान-सम्मान और प्यार फिर कभी भी प्रदान नहीं किया।