सुरा-कुंभ

Sura-Kumbh - Jataka Katha

एक बार शक्र जब पृथ्वी लोक का अवलोकन कर रहे थे

तो उनहोंने सब्बमित्र नामक एक राजा को देखा जो हर प्रकार की योग्यताएँ रखता था

किन्तु वह कुसंगत में एक शराबी बन गया था।

शक्र ने तभी यह बात ठान ली कि वे उसकी बुरी आदत को छुड़ा कर रहेंगे ।

अत: धरती पर वे एक अति सुंदर सुरा कुंभ के साथ पहुँचे और सब्बमित्र के पास पहुँच कर कहा कि

उनके पास उस कुंभ में ऐसी मदिरा है जिसकी तुलना में विश्व की हर मदिरा फीकी पड़ सकती थी।

राजा ने जब उसकी मदिरा की विशिष्टता पूछी तो उन्होंने कही कि उसकी मदिरा बहुत उत्तम थी

क्योंकि उसे पीने वाला देश, काल और पात्र को भूल हर वह कुकृत्य कर सकता था जो नीति

और समाज, शरीर और मानस सभी के लिए घातक था।

राजा ने जब एक शराब बेचने वाले को ही शराब के मुख से शराब के अवगुण सुने तो

उसकी आँखें खुल गईं और उसने उस दिन के बाद फिर कभी शराब को हाथ नहीं लगाया।