एक खच्चर था जो एक गधे और एक घोड़ी की संतान था।
नन्हाँ खच्चर हर दिन बहुत सारी घास चरता था और जल्द ही मोटा-तगड़ा हो गया।
उसे धूप में दौड़ना-कूदना बहुत अच्छा लगता था। ताकत से भरपूर तो वह था ही।
वह
सोचने लगा, “मेरी माँ बहुत अच्छी नस्ल की है, लेकिन मैं उससे भी तेज़ भागता हूँ।
मुझे देखना चाहिए कि मैं कितनी दूर तक भाग सकता हूँ।”
खच्चर ने तेज़ भागना शुरू किया लेकिन जल्दी ही उसे समझ में आ गया कि वह बहुत दूर तक नहीं भाग सकता।
वह बहुत ज़्यादा थक चुका था और हाँफते हुए वह रुक गया। तभी उसे अपने
बारे में एक कड़वी सचाई याद आई। उसकी माँ तो घोड़ी थी, लेकिन उसका पिता तो एक गधा ही था ।
खच्चर को समझ में आ गया कि उसकी ताकत की एक सीमा है और वह घोड़े जितना तेज़ नहीं
भाग सकता।
हर स्थिति के दो पहलू होते हैं, अच्छे और बुरे।
तुम्हें जीवन को संतुलित बनाने के लिए दोनों की समझ होनी चाहिए।