समझदार शत्रु

एक राजकुमार और उसके दो मित्र पहाड़ी पर चढ़ गए और

उन्हें वहाँ बहुत सारे बहुमूल्य पत्थर पड़े मिले।

उनमें से एक बोला, “इन पत्थरों को ले जाना सुरक्षित नहीं होगा,

लेकिन इन्हें यहाँ छोड़ा भी नहीं जा सकता।

इन पत्थरों को गटककर पेट में डाल लेते हैं।

" सारे साथी मान गए।

एक चोर उनकी बातें सुन रहा था।

वह भी उनके पास आ गया और उनका दोस्त बन गया।

राजकुमार और उनके दोनों मित्रों ने उन पत्थरों को गटक लिया और अपने नए मित्र के साथ घर लौटने लगे।

रास्ते में उन्हें डाकुओं का गिरोह मिल गया।

डाकुओं को लगा कि इनके पास बहुत धन-दौलत होना चाहिए।

उन्होंने लड़कों की तलाशी ली, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला।

डाकुओं ने उनका पेट काटने की धमकी दी।

चोर ने सोचा, “मैं बिना कारण के इन लड़कों को नहीं मरने दूँगा।”

वह आगे आया और डाकुओं से बोला कि पहले उसके पेट पर चाकू चलाएँ।

डाकुओं ने उसका पेट काटा लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला।

डाकुओं ने सोचा कि अब बाकी लड़कों के पेट काटने से कोई लाभ नहीं होगा।

यह सोचकर उन्होंने बाकी लड़कों को जाने दिया ।

कई बार चोर भी बहुत भलाई का काम कर जाता है।