एक बूढ़ा व्यक्ति सिर पर लकड़ियों का भारी बोझा लादे काफी दूरी से चला आ रहा था।
वह बेहद थका हुआ था। थोड़ी ही देर में वह धरती पर गिर पड़ा।
उसने लकड़ियों का गट्टर एक तरफ फेंक दिया और कहने लगा, “हे यमराज, अब तो उठा लो।
मैं बूढ़ा हो गया हूँ और बहुत थक गया हूँ। अब मैं और नहीं चल सकता ।”
यमराज ने उसकी प्रार्थना सुन ली और काले भयानक रूप में उसके सामने प्रकट हो गया ।
“मैं मृत्यु का देवता यमराज हूँ।
तुम मुझे क्यों पुकार रहे थे ?
क्या तुम मेरे साथ चलना चाहते हो ?
” यमराज ने पूछा।
बूढ़ा व्यक्ति यमराज को देखकर स्तब्ध रह गया
था। वह डर से थर-थर काँपने लगा और बोला, “नहीं-नहीं, महाराज!
मैं आपको मेरे प्राण लेने के लिए नहीं बुला रहा था।
मैंने तो आपको यह गट्टर उठाने में सहायता करने के लिए बुलाया था।”
मौत को बुलाने और सचमुच मरने में बड़ा अंतर होता है।
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