एक हँसमुख स्वभाव का बच्चा था।
उसे हर तरह के खेल पसंद आते थे।
एक दिन तैरने के लिए नदी में गया।
तैरते तैरते वह इतने दूर निकल गया कि वह नदी की धारा के
सामने टिकने में कठिनाई महसूस करने लगा।
बच्चा डूबने लगा।
तभी उसकी निगाह किनारे खड़े एक आदमी पर पड़ी।
बच्चा मदद के लिए चिल्लाया।
बच्चे की आवाज़ सुनकर भी वह आदमी वहीं खड़ा रहा और
उसकी सहायता करने के बजाय उसको सावधानी बरतने की सलाह देने लगा।
बच्चे को साँस लेने
तक में कठिनाई होने लगी। निराश होकर वह बोला,
“भाई, ये उपदेश मुझे बाद में देना।
पहले मुझे बचाओ तो।”
बिना कुछ किए सलाह देना बेकार होता है।