एक बहुत अच्छा खगोलशास्त्री था।
उसे तारों को देख का बहुत शौक था।
तारे देखते-देखते वह दीन-दुनिया की हर बात भूल जाता।
वह शहर में घूमता रहता और अलग-अलग स्थानों से तारों को निहारा करता।
एक दिन तारे देखने में वह इतना मग्न हो गया कि उसे पता ही नहीं चला और वह एक कुएँ में गिर गया।
वह डर गया और सहायता के लिए चिल्लाने लगा।
पास से ही एक राहगीर जा रहा था।
उसने खगोलशास्त्री को कुएँ में डूबते-उतराते देखा।
उसकी पुकार सुनकर वह बोला, “अरे दोस्त !
तुम हमशा चाँद-तारों के रहस्य सुलझाने में लगे रहते हो,
लेकिन अपने पैरों के नीचे की तुम्हें सुध नहीं रहती।
तुम कुएँ में गिरने के ही लायक हो ।”
मामूली बातों की अनदेखी करना ख़तरनाक हो सकता है।