गंजा योद्धा

एक योद्धा था।

जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती जा रही थी,

वैसे-वैसे उसके सिर के बाल कम होते जा रहे थे।

धीरे-धीरे वह बिलकुल गंजा हो गया।

वह काफी निराश हो गया।

उसे बहुत क्रोध भी आ रहा था, लेकिन वह जानता था कि फिर से बाल

लाने का कोई उपाय नहीं है।

उसने अपने गंजेपन को छिपाने और नकली बाल लगाने का निश्चय किया।

एक दिन वह अपने साथियों के साथ शिकार पर गया।

जब वह जंगल में

जंगली जानवरों की तलाश में घूम रहा था तभी बड़ी तेज़ हवा चली

और उसके नकली बाल उड़ गए।

उसके साथी उसका गंजा सिर देखकर हतप्रभ रह गए और

ज़ोर-ज़ोर से हँसते हुए उसका मज़ाक उड़ाने लगे।

पहले तो उस योद्धा को समझ में ही नहीं आया कि वह क्या करे।

फिर थोड़ी देर में वह भी अपने साथियों के साथ ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा।

“मैं भी कितना मूर्ख हूँ,” वह हँसते हुए बोला।

“जब मेरे अपने बाल मेरे सिर पर नहीं रहे तो मैंने कैसे ये उम्मीद कर ली

थी कि ये नकली बाल मेरे सिर पर लगे रहेंगे ”