एक बार एक शहर में तीन व्यापारी रहते थे।
उनके शहर पर पड़ोसी राजा हमला करने वाला था।
शहर में उस हमले से निपटने की तैयारी होने लगीं।
तीनों व्यापारी
भी चिंता में पड़ गए और अपने शहर की रक्षा के लिए
योजना बनाने लगे।
उन तीन व्यापारियों में से एक ईंटें बेचता था।
वह बोला, “साथियो,
का सबसे अच्छा साधन ये ईंटें ही हैं।
ओर ईंटों की दीवार बना दी जाए तो
तक उसे नहीं भेद पाएँगे ।”
शहर की रक्षा
शहर के चारों
तोप के गोले
दूसरा व्यापारी लकड़ी का व्यवसाय करता था।
उसने बताया कि लकड़ियों के ज़रिए शहर की रक्षा की जा सकती है।
इसके पक्ष में उसने अच्छा तर्क भी दिया।
तीसरा व्यापारी चमड़े का व्यवसाय करता था।
वह बोला, “साथियो, सबकी बातें अपनी-अपनी जगह ठीक हैं,
लेकिन सच बात तो यह है कि चमड़े से अधिक कारगर और कुछ नहीं है।”
हर व्यक्ति को अपना-अपना व्यवसाय ही अच्छा लगता है।