एक दिन चंद्रमा ने अपनी माँ से कहा, “माँ, मेरे लिए एक अच्छी-सी पोशाक सिल दो,
जो मुझे पूरी तरह से फिट आए।” उसकी माँ ने जवाब दिया,
“बेटा, तुम्हारे लिए पोशाक कैसे बना सकती हूँ? यह तो असंभव है ।"
चंद्रमा नाराज़ होकर बोला, “क्यों ?
मेरा मन भी अच्छे कपड़े पहनने का करता है।"
उसकी माँ ने जवाब दिया, “वो तो ठीक है, बेटा । पर तुम्हारा मामला अलग है।"
चंद्रमा ने पूछा, “ऐसा क्यों ?”
उसकी माँ ने जवाब दिया, “देखो, अभी तुम छोटे हो।
धीरे-धीरे तुम बड़े होते जाओगे।
कुछ ही दिनों में तुम्हारा आकार पूरा हो जाएगा।
तुम्हारा आकार तो हर दिन बदलता रहता है।
बड़े होने के बाद तुम फिर से छोटे हो जाओगे।
दुनिया की कोई भी पोशाक तुम्हारे ऊपर फिट नहीं आ सकती।”