गर्मी का दिन था।
पृथ्वी पर अचानक लोगों ने खबर सुनी कि सूरज का जल्द ही विवाह होने वाला है।
सारे लोग बहुत प्रसन्न हुए।
मेंढक भी बहुत प्रसन्न हुए और पानी में उछल-कूद मचाने लगे।
एक बूढ़ा
मेंढक पानी के ऊपर आया और सारे मेंढकों को समझाने लगा कि
यह प्रसन्नता की नहीं दुख की बात है, “मेरे साथियो !
तुम लोग इतने प्रसन्न क्यों हो रहे हो?
क्या यह वाकई खुशी मनाने की खबर है?
एक अकेला सूरज तो अपनी गर्मी से हमें झुलसा देता है।
ज़रा सोचो, जब इस सूरज के दर्जन भर बच्चे हो जाएँगे तो हमारा क्या हाल होगा।
हमारा कष्ट कई गुना बढ़ जाएगा और हम लोग जीवित नहीं रह पाएँगे ।”