एक व्यक्ति को लंबी यात्रा पर जाना था।
तेज गर्मी और धूप के दिन थे।
उसने एक गधे और उसके मालिक को किराये पर लिया।
कुछ दूर चलने के बाद वह गधे से उतर गया और उसी गधे की परछाई में बैठकर आराम करने लगा।
गधे का मालिक नाराज़ होने लगा, “देखो जी।
मैं अपने गधे का इस तरह से पूरा लाभ नहीं उठाने दूँगा ।
इसकी परछाई में मैं भी बैठकर आराम करूँगा।
अकेले तुम नहीं बैठोगे ।”
“ तुम कैसी बातें कर रहे हो ?” वह व्यक्ति पलटकर बोला।
“गधे की परछाई में सिर्फ मैं ही बैठूंगा।
मैंने इस गधे का किराया दिया है और पूरे दिन के लिए यह गधा सिर्फ मेरा है।"
“बिलकुल नहीं,” गधे का मालिक बोला।
“तुमने गधे को किराये पर लिया है, उसकी परछाई को नहीं।
मैं तुम्हें उसकी परछाई में नहीं बैठने दूँगा।
तुम्हें जो करना हो, कर लो।”
दोनों के बीच झगड़ा होने लगा । तभी गधे ने दौड़ लगा दी और भाग गया।
परछाई के लिए लड़ते रहने से हम कई बार असली वस्तु ही खो बैठते हैं।